नवरात्री क्यों मनाई जाती है? – Navratri Kyu Manai Jati Hai?

Posted by hindimanthan | Sep 19, 2022
hindimanthan नवरात्री क्यों मनाई जाती है? – Navratri Kyu Manai Jati Hai?

हमारे भारतवर्ष में कई युगों से नवरात्री का पर्व बड़े श्रद्धापूर्वक और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हमारे पूर्वजों के अनुसार गृहस्थ लोगों के लिए साल में दो बार नवरात्रि का पर्व आता है। पहला चैत्र के महीने में, इस नवरात्रि के साथ हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है। इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।दूसरी नवरात्रि आश्विन माह में आती ​है, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौष और आषाढ़ के महीने में भी नवरात्रि का पर्व आता हैं। जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। लेकिन उस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है।गृहस्थ और पारिवारिक लोगों के लिए ​सिर्फ चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है। दोनों में ही मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। और भक्त बड़े ही भाव के साथ मां के नौ दिनों का व्रत, पूजा और कन्याभोज करते हैं।

चैत्र नवरात्रि मनाने का कारण:
कहा जाता है कि जब धरती पर म​हिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया था, साथ ही साथ देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए थे। क्योंकि महिषासुर को वरदान प्राप्त था। कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे सृष्टि की रक्षा हेतु अनुरोध किया। इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए। जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया था। ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होकर नौ दिनों तक चलता रहा और तभी से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।

शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण:
देवी दुर्गा ने आश्विन के महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए इन नौ दिनों को माता के पूजन के लिए निश्चित कर दिया गया। क्योंकि यह नवरात्री आश्विन मास में शीत ऋतु शुरू हो जाती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को भारतवर्ष में विजयदशमी(दशहरा) के रूप में मनाया जाता है।

नवदुर्गा श्लोक:

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में विभिन्नताएं:

– चैत्र नवरात्रि में भक्त कठोर साधना और व्रत करते हैं, जबकि शारदीय नवरात्रि में सभी भक्त सात्विक साधना, नृत्य, उत्सव आदि का आयोजन करते हैं। ये दिन शक्ति स्वरूपा माता जगदम्बा की पूजा के दिन माने गए हैं। चैत्र नवरात्रि का महत्व महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में अधिक है, जबकि शारदीय नवरात्रि का महत्व गुजरात और पश्चिम बंगाल में बहुत है। शारदीय नवरात्रि के दौरान बंगाल में शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा की पूजा का पर्व मनाया जाता है और गुजरात में गरबा नृत्य आदि का आयोजन किया जाता है।

– चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसा मन जाता है कि भगवान श्रीराम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था। जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन को हम महानवमी के रूप में मानते हैं। इसके अगले दिन विजयदशमी(दशहरा) का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था इसीलिए माता दुर्गा को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। और इसीदिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए शारदीय नवरात्रि पूर्ण रूप से शक्ति की पूजा के दिन माने गए हैं।

ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है। वहीं शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है।