नवरात्री चौथा दिन – माँ कुष्मांडा – कथा, पूजा विधि एवं मूल मंत्र – Kushmanda Devi

Posted by hindimanthan | Sep 24, 2022
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नवरात्री चतुर्थ-माँ कुष्मांडा

नवरात्री के चौथे दिन को माँ कूष्माण्डा देवी को समर्पित किया गया है, इस दिन माता के इस स्वरूप की उपासना की जाती है।माँ कुष्मांडा को अष्टभुजा के नाम से भी जगत में जाना जाता है| इस दिन भक्तों को निष्पाप और पवित्र मन से माँ का ध्यान करना चाहिए | माँ की आराधना करने से अहम और कष्ट दूर होते है | और माँ भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं |

माँ कुष्मांडा की कहानी:
जब हमारे सृष्टि का कोई नामोनिशां नहीं था, न किसी को पृथ्वीलोक, स्वर्ग ,नरक और पाताललोक का कोई पता नहीं था। तब माता कुष्मांडा ने अपनी मनमोहक मुस्कान से इस ब्रह्मांड की संरचना की थी। इसी कारण माता कुष्मांडा को ही सृष्टि की आदिस्वरूपा, आदिशक्ति और आदिजगदम्बा कहा जाता है। इनका निवास सौरमंडल के भीतर सूर्यमण्डल में है। सूर्यमण्डल में रहने की क्षमता और शक्ति सिर्फ और सिर्फ माता कुष्मांडा की है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दीप्तमान है ।

माता के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ उज्जवलित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और जीवों में माँ के ही तेज की छाया विद्यमान है। माँ की आठ भुजाएँ होने के कारण ही अष्टभुजा के नाम से भी जगत विख्याति प्राप्त हुई । माता ने अपने सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का पुष्प, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण कर रखा है। और अपने आठवें हाथ में सभी प्रकार की सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला धारण की है। माता कुष्मांडा का वाहन शेर है।

माँ कुष्मांडा की पूजा विधि:
आइये जानते हैं, दुर्गाशप्तसती के हिसाब से माँ की पूजा कैसे की जाती है। सबसे पहले स्नानादि से निव्रत होकर, आपने जो कलश स्थापित किया है उसकी पूजा करें। क्योकि ऐसा माना जाता है कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों ही देवता वास करते हैं। कलश पूजन के बाद माँ कूष्माण्डा की पूजा प्रारम्भ करें। इस दिन हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करें। तत्पश्चात व्रत, पूजन का संकल्प लें। फिर मां कूष्माण्डा के साथ साथ सभी देवी – देवताओं की विधि पूर्वक आराधना करें। माँ कुष्मांडा को मालपुए और कुम्हरे (कद्दू) से बने पेठे का भोग ही लगाएं। फिर इनके मंत्रों का जाप करें। माँ की आरती उतारकर प्रसाद बाँटकर कर पूजा संपन्न करें।

माँ कुष्मांडा का प्रमुख मंत्र :

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।