नवरात्री पांचवा दिन – माँ स्कंदमाता – कथा, पूजा विधि एवं मूल मंत्र – Skandmata Devi

Posted by hindimanthan | Sep 25, 2022
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नवरात्री पंचमी – माँ स्कंदमाता:

हमारे हिन्दू रिवाज़ के अनुसार नवरात्री के पाँचवे दिन को स्कंदमाता का दिन माना जाता है | स्कन्द शिव और पार्वती व छह मुख वाले पुत्र कार्तिकेय का एक और नाम है | स्कन्द की माँ होने के वजह से माँ को स्कन्दमाता के नाम से जगत में जाना जाता है| ऐसा कहा जाता है कि माँ दुर्गे का ये रूप अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है | माँ का ये स्वरूप चार भुजाओं से युक्त है| माता ने अपने दाहिने हाथ में स्कन्द यानि की कार्तिकेय को अपनी गोद में बैठा रखा है | और निचले हाथ में कमल का पुष्प व बाएं हाथ में वरदमुद्रा और निचले दूसरे हाथ में श्वेत कमल धारण कर रखा है| माँ का मुख्य वाहन सिंह है | हमेशा कमल पर विराजमान होने के कारण माँ को पद्मासना भी कहा जाता है |

माँ स्कन्दमाता की कहानी:
वेद और पुराणों के अनुसार, जब असुर तारकासुर कठिन तप कर रहा था। तभी तारकासुर की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उससे कहते की हम तुम्हारी भक्ति से अतिप्रसन्न हुआ मांगो वरदान में क्या वरदान लेना चाहोगे | तभी तारकासुर ने ब्रम्हा जी के समक्ष अजर-अमर होने की इच्छा प्रकट की । यह सुनकर ब्रह्मा जी उससे कहते हैं कि धरती पर जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होनी तो निश्चित है ,इसलिए कोई भी अमर नहीं हो सकता । तभी तारकासुर निराश होकर , ब्रम्हा जी से यह वरदान मांगता है कि भगवान शिव का पुत्र ही मेरा वध करे। क्योंकि तारकासुर ने सोचा कि शिव जी ना कभी विवाह करेंगे और ना ही कभी उनका पुत्र होगा। तारकासुर यह वरदान लेकर लोगों पर अत्याचार व सताने लगा। तारकासुर से तंग होकर सारे देवी- देवता भगवान शिव से मदद के लिए उनके पास पहुंचते हैं। और तारकासुर का वध करने के लिए भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करते हैं। विवाह उपरांत भगवन शिव-पार्वती का पुत्र कार्तिकेय हुआ। और कार्तिकेय बड़ा होकर तारकासुर का वध करता है। तभी से सम्पूर्ण जगत में स्कंदमाता को कार्तिकेय की माँ कहा गया|

मां स्कंदमाता की पूजा:
दुर्गाशप्तसती के अनुसार माँ स्कन्द माता की पूजा नवरात्री के पाचवे दिन की जाती है| सुबह जल्दी उठ कर स्नानादि करके| सबसे पहले माँ की चौकी साफ कर माँ के समक्ष धुप ,दीप ,अदि जलाये | और माँ का लाल कुमकुम से तिलक करें| माँ को भोग में केले का भोग लगाएं| कुशाग्र बुद्धि के के लिए माँ स्कन्दमाता को 6 इलायची चढ़ाये व उनका सेवन करें। माँ के बीज मंत्र “ब्रीं स्कन्दजनन्यै नमः” का जप करें। इस प्रकार माँ का ध्यान करने से निश्चित ही ज्ञान में वृद्धि होगी।और माँ का शत शत नमन कर माँ की कृपा अवश्य लें

माँ स्कन्दमाँ का मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां स्कंदमाता का स्त्रोत:

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥