नवरात्री छठा दिन – माँ कात्यायनी – कथा, पूजा विधि एवं मूल मंत्र – Katyayani Devi

Posted by hindimanthan | Sep 25, 2022
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नवरात्री षष्ठी- माँ कात्यायनी

नवरात्री का छठा दिन माता कात्यायनी को पूर्ण रूप से समर्पित किया गया है। माता के इस रूप को पूजने से धन ,यश, कीर्ति और मोक्ष चारो ही प्राप्त होते हैं। माता ने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। इसीलिए इनको संसार भर में कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। माँ का यह रूप काफी सरस ,सौम्य और मोहक है। माँ की पूजा गोधूलि बेला में ही करनी चाहिए। माँ के चार भुजाये होने के कारण ये चतुर्भुज कहलाई।

माता कात्यायनी की कथा:
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी को ही क्यों समर्पित किया गया है। आइये जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी के बारे में। पुरातन काल के ऋषि मुनियों के अनुसार, महर्षि कात्यायन के कोई भी पुत्री संतान नहीं थी। इसीलिए उन्होंने एक दिन माँ जगदम्बा को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने की कामना के साथ घोर तप किया। महर्षि कात्यायन की इस घोर तपस्या से माता जगदम्बा प्रसन्न हुई और महर्षि कात्यायन के यहां माँ ने पुत्री रूप में जन्म लिया और जगत में मां कात्यायनी के नाम से विख्यात हुई। महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण माता कात्यायनी बेहद गुणवती कन्या हुई थी। माँ कात्यायनी जैसी गुणवान, रूपवती और ज्ञानवान कन्या पूरे संसार भर में नहीं थी।

ऐसी उम्मीद करते हैं कि आपको नवरात्रि के छठे दिन की कथा अच्छे से समझ आई होगी। यह कथा अविवाहित लड़के व् लड़कियों के लिए भी लाभकारी है जिनके विवाह में देरी हो रही हो। उनके लोगो के लिए भी यह कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

माँ कात्यायनी की पूजा:
माँ के छठे रूप की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नानादि करें। माँ की पूजा गोधूलि बेला में की जाती है। इसके बाद माँ की चौकी और प्रतिमा स्थापित करे। फिर माँ कात्यायनी के समक्ष धूप, दीप इत्यादि जलाये। फिर माँ को पीले फूल व मीठा अर्पित करें। माँ कात्यायनी की पूजा में शहद चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। मां को सुगंधित फूल चढाने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और साथ साथ ही प्रेम संबंध में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है ।

माँ कात्यायनी का मूल मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥