नवरात्री दूसरा दिन – माँ ब्रम्हचारिणी – कथा, पूजा विधि एवं मूल मंत्र (Bramhacharini)

Posted by hindimanthan | Sep 23, 2022
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आइए जानते हैं, नवरात्रि की दूसरे दिन के विषय में। नवरात्री के दूसरे दिन माता ब्रह्माचारिणी की आराधना की जाती है। ब्रह्माचारिणी नाम से ही उनकी शक्तियों की महिमा का अनुभव होता है।

माता ब्रह्माचारिणी नाम में ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली।और तप का आचरण करने वाली शक्तिस्वरूपा को शत शत नमन हैं। माता के इस रूप को पूजने से इंसानों में सदाचार,संयम और धैर्य आता है। इस तरह से मनुष्य जीवन में कठिन से कठिन परस्थितियों में अपने पथ से भटकता नहीं है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ के अनुसार ऐसा है माता का स्वरूप:

नवरात्रि के दूसरे दिन पूजनीय माता ब्रह्मचारिणी के आंतरिक जागरण का अत्यन्त महत्व है। मां संसार में ऊर्जा के वेग, कार्य में निपुणता और आंतरिक शक्ति की जननी हैं। ब्रह्मचारिणी संसार के चर और अचर जगत के ज्ञानों की ज्ञाता हैं। माता का ये रूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिसमे माता ने एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल धारण कर रखा है। यह अक्षयमाला और कमंडल को धारण करने वाली माता ब्रह्मचारिणी दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और तंत्र-मंत्र आदि से संबंधित हैं। ब्रह्मचारिणी का रूप बहुत ही सरल और भव्य है।

माता ब्रह्मचारिणी को तपस्या की देवी कहा जाता है। कई वर्षों कठिन तपस्या के बाद मां का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था। तप की इस अवधि में माता ने कई सालों तक बिना कुछ खाए व्रत किया था, उन्होंने सिर्फ पेड़ के पत्तो आदि का सेवन किया था इसलिए इनका नाम अपर्णा भी पड़ा। उनकी साधना से महादेव प्रसन्न हुए थे। और प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था।

ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:

दुर्गा जी के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती है। प्रातः काल में शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और इनकी पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। मां को सर्वप्रथम पंचामृत से स्नान कराएं, उसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाए। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना में गुड़हल या कमल के फूल का ही उपयोग करें। माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग के रूप में अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाए। फिर पान-सुपारी भेंट करें और प्रदक्षिणा करें,और इसके बाद कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें। घी और कपूर के दीपक से माता की आरती करें।माता दुर्गा सप्तशती, चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के बाद मनोभाव से माता के जयकारे लगाएं। इससे माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

मां ब्रह्मचारिणी का प्रमुख मंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।