तुलसीदास जी का जीवन परिचय – Goswami Tulsidas Biography in Hindi

Posted by hindimanthan | Oct 05, 2022
hindimanthan तुलसीदास जी का जीवन परिचय – Goswami Tulsidas Biography in Hindi

संक्षिप्त जीवन परिचय:

पूरा नाम- गोस्वामी तुलसीदास
उपनाम- रामबोला
जन्म- सन् 1589
जन्मस्थान- राजापुर, बाँदा, उत्तर प्रदेश
माता का नाम- हुलसी देवी
पिता का नाम- आत्माराम दुबे
शिक्षा- वेद, पुराण एवं उपनिषदों की शिक्षा
पत्नी का नाम- रत्नावली
बच्चे का नाम- तारक
गुरु का नाम- नरहरि-दास
पुरूस्कार- गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि
साहित्यिक रचनाएं- रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल।

जीवन परिचय:

तुलसीदास जी का जन्म 1532 (संवत 1589) में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर नामक गाँव में हुआ था। तुलसीदास जी सबसे महान महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के रचयिता हैं। इनका जन्म सम्राट अकबर के शासनकाल में हुआ था।
तुलसीदास जी को बाल्मीकि ऋषि का अवतार माना जाता है, जिन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की थी। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। बचपन में लोग इन्हें तुलसीराम के नाम से भी बुलाते थे। तुलसीदास जी का बचपन बड़े ही कष्ट और गरीबी में बीता था। तुलसीदास जी का विवाह दीनबन्धु पाठक की पुत्री बुद्धिमती (रत्नावली) से हुआ था और इनसे तारक नाम का एक पुत्र भी हुआ।

पत्नी से लगाव:

तुलसीदास जी को अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम था। एक बार की बात है उनकी पत्नी अपने मायके गई हुई थी, पत्नी मोह में तुलसीदास जी आधी रात तो अपने ससुराल जा पहुंचे। जिस पर उनकी पत्नी रत्नावली उनपर बहुत क्रोधित हुई और बोली।

“लाज न आई आपको, दौरे आएहु नाथ”

रत्नावली ने एक ऐसा श्लोक बोला, जिससे तुलसीदास के आगे का जीवन बदल गया।

रत्नावली द्वारा बोला गया श्लोक:

“अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।।
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?”

श्लोक का अर्थ:
रत्नावली ने कहा, “इस हाड़ मांस के शरीर से आप जितना प्रेम करते हैं अगर इतना प्रेम आप प्रभु श्री राम से कर लें तो आपका जीवन सफल हो जाये”

अपनी पत्नी के ऐसे वचन सुनने के बाद तुलसीदास जी की मोह-माया भंग हो गई। उनपर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होनें अपने परिवारिक जीवन का त्याग कर दिया और सन्यासी हो गए। उसके बाद तुलसीदास जी का ज्यादातर समय चित्रकूट, काशी और अयोध्या में बीता। गोस्वामी तुलसीदास जी को बाबा नरहरिदास ने दीक्षा दी थी।

तुलसीदास जी ने लिखना 1574 से आरम्भ किया था। इनके द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है जिसमें रामचरिमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णावली, विनयपत्रिका इत्यादि हैं। तुलसीदास जी को महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ को पूर्ण करने में 2 साल 7 महीने और 26 दिन लगे थे।

तुलसीदास जी की अन्य रचनाएं-

  • रामललानहछू
  • वैराग्य-संदीपनी
  • बरवै रामायण
  • कलिधर्माधर्म निरुपण
  • कवित्त रामायण
  • छप्पय रामायण
  • कुंडलिया रामायण
  • छंदावली रामायण
  • सतसई
  • जानकी-मंगल
  • पार्वती-मंगल
  • श्रीकृष्ण-गीतावली
  • झूलना
  • रोला रामायण
  • राम शलाका
  • कवितावली
  • दोहावली
  • रामाज्ञाप्रश्न
  • गीतावली
  • विनयपत्रिका
  • संकट मोचन

तुलसीदास जी का निधन:
उस समय तुलसीदास जी काशी के असीघाट पर रहा करते थे। ये दिन उनके जीवन के आख़री दिन थे, काफी सालों से बीमार रहने के चलते उन्होनें सन 1623 में अपना शरीर त्याग दिया। उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने घाट पर एक हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था जहाँ उनके अनुसार उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए थे। इस घाट को आज तुलसीघाट के नाम से भी जाना जाता है। अब इस घाट पर करोड़ो भक्त एवं श्रद्धालु हनुमान जी व तुलसीदास जी से आशीर्वाद के लिए आते हैं।