करवाचौथ व्रत – क्यों मनाया जाता है करवाचौथ? – Reason behind Karwa Chauth

Posted by hindimanthan | Oct 08, 2022
hindimanthan करवाचौथ व्रत – क्यों मनाया जाता है करवाचौथ? – Reason behind Karwa Chauth

जैसा कि हम सब जानते हैं, हमारा भारत पुरे विश्व में अपनी अनोखी संस्कृति के लिए काफी प्रचलित है, और हो भी क्यों न क्योंकि हमारे देश की स्त्रियाँ हर रीति रिवाज, पूजा पाठ को बड़े ही हर्षोउल्लाष एवं विधिपूर्वक मानती हैं।

भारत की इसी परंपरागत त्यौहार की कतार में करवाचौथ नामक एक व्रत आता है। जोकि यहां की स्त्रियाँ अपने-अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं। करवाचौथ का त्यौहार आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को हर साल पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ सूर्योदय के साथ ही इस व्रत को रखती हैं। इस दिन स्त्रियाँ बिना कुछ खाये और बिना पानी पिए इस व्रत को बड़े ही श्रद्धा भाव से रखती हैं। रात्रि में चाँद की पूजा व चाँद को अर्घ्य देने के साथ ही अपने पति को ईश्वर रूप में पूज कर इस व्रत को संपन्न करती हैं।

करवाचौथ होने के पीछे की कथा:

जैसा कि हमारे यहां हर व्रत, त्यौहार के होने के पीछे कोई न कोई घटना जरूर घटित हुई होती है और जब उस घटना का सकारात्मक परिणाम मिलता है, तो हम उसे व्रत या त्यौहार के रूप में मनाने लगते हैं। ऐसा ही एक घटना करवाचौथ के होने के पीछे भी छिपी हुई है। तो आइये जानते उस घटना के बारे में..

कैसे शुरू हुआ करवा चौथ का व्रत:

एक समय की बात है, नदी के किनारे बसे एक गांव में करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ रहती थी। उस स्त्री का पति उससे काफी उम्रदराज़ था। एक दिन उसका पति सुबह सुबह स्नानादि के लिए नदी की ओर गया था। तभी उसके नहाते समय मगरमच्छ उसका पैर पकड़कर उसे निगलने के लिए अपनी ओर खींचने लगा। तभी वह आदमी अपने बचाव के लिए अपनी पत्नी को पुकारता है “करवा करवा” और करवा अपने पति की आवाज़ सुनकर, भाग कर वहां पहुँचती है। वह अपनी पति की जान संकट में देखकर अपनी साड़ी से एक धागा निकाल कर अपने सतीत्व व तपोबल से मगरमच्छ का मुँह बांध देती है।

इसके बाद करवा यमलोक में यमराज के पास जा पहुँचती है। उस समय यमराज भगवान चित्रगुप्त के खाते देख रहे होते हैं और वही पर खड़ी होकर करवा अपनी लाई हुई सात सीके झाड़ने लगती हैं। तभी यमराज का ध्यान चित्रगुप्त के काम से हटकर करवा के ऊपर आता है। यमराज आक्रोश में आकर पूछते हैं “तुम क्या चाहती हो?” तब करवा यमराज से कहती है कि मेरे पति के प्राण संकट में हैं, कृपया आप उनके प्राणों की रक्षा करें और उस मगरमच्छ को मृत्यु प्रदान करें। तब यमराज करवा से कहते हैं कि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है, इसलिए मैं उसको मृत्यु नहीं दे सकता।

यह सुनकर क्रोधयुक्त करवा ने कहा, ‘अगर आप मगरमच्छ को मृत्यु और मेरे पति को चिरायु होने का वरदान नहीं दे सकते तो मैं अपने सतीत्व व तपोबल से आपको शाप दूंगी।’

करवा की यह बात सुनकर चित्रगुप्त चिंतित हो गए, क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण न तो उसे शाप दिया जा सकता था और न ही उसके वचन को अनदेखा किया जा सकता था। तब यमराज ने मगरमच्छ को असमय मृत्यु देकर यमलोक भेज दिया और उसके पति को लंबी आयु का वरदान दिया। तथा चित्रगुप्त ने करवा को वरदान दिया कि तुम्हारा जीवन सुख शांति से भरपूर हो। तब यमराज कहते हैं.. हे करवा! आज जैसे तुमने अपने पति के जीवन की रक्षा अपने सतीत्व व तपोबल से की है, मैं वरदान देता हूं कि जो भी स्त्री पूर्ण विश्वास और आस्था से इस दिन व्रत और पूजन करेगी। मैं उस स्त्री के सुहाग व सौभाग्य की रक्षा करूंगा।

तब भगवान चित्रगुप्त ने कहा कि इस दिन कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि होने व करवा और चौथ के मिलने से इस व्रत का नाम “करवा चौथ” होगा। इस प्रकार करवा वह प्रथम स्त्री थीं, जिसने अपने सुहाग की रक्षा हेतु इस व्रत को न केवल पहली बार बल्कि इसकी शुरुआत भी की। इस व्रत में पूजा करते समय माता करवा की यह कथा अवश्य पढ़ें और माता से यह आशीर्वाद लें कि हे मां करवा जैसे आपने अपने पति व सौभाग्य की रक्षा की थी, उसी प्रकार हमारे सुहाग की भी रक्षा करें।

वेद पुराणों के अनुसार ये कहा जाता है कि “भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को यह करवाचौथ का व्रत अर्जुन के लिए रखने को कहा था। इस बात का उल्लेख वराह पुराण में मिलता है।”

करवा चौथ पूजन विधि:

इस दिन स्त्रियों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर लेना चाहिए। इसके बाद सास द्वारा बनाई गयी सरगी खाकर इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए।इसके साथ ही शाम को चौक डाल कर पूजा करें। धूप, दीप, चन्दन, रोली और सिन्दूर से पूजा की थाली को सजाएं और चाँद निकलने के लगभग आधे घंटे पहले पूजा शुरू कर दें। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा अवश्य कहें। चाँद निकलने के बाद छलनी के द्वारा चाँद दर्शन के साथ चाँद को अर्घ्य दें।

तत्पश्चात स्त्रियाँ अपने अपने पति के हांथों से पानी पीकर इस व्रत को संपन्न करें। इसके बाद घर में मौजूद सभी बड़े बुज़ुर्गों के पैर छूकर अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद अवश्य लें।

2023 करवाचौथ मुहूर्त:

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: मंगलवार 31 अक्टूबर 2023, रात 09:30
चतुर्थी तिथि समाप्त: बुधवार 01 नवंबर 2023, रात 09:19
करवा चौथ व्रत का समय: बुधवार 01 नवंबर, सुबह 06:36 – रात 08:26 तक
करवा चौथ पूजा का समय: 01 नवंबर शाम 05:44 – रात 07:02 तक
करवा चौथ पर चाँद निकलने का समय: 01 नवंबर, रात 08:26 पर